दोस्तों वैसे तो हिंदुओं में हर महीने छोटे या बड़े बहुत से उत्सव होते ही हैं लेकिन नवरात्रि का पर्व हिंदुओं में काफी धूमधाम से मनाया जाता हैं हालांकि कई लोग आज भी नहीं जानते की नवरात्रि क्यों मनाई जाती हैं | नवरात्रि में 9 देवियों का नाम क्या हैं?
वैसे नवरात्रि का अर्थ “नौ रातें” होता हैं यह एक संस्कृत शब्द हैं इन नौ रातों और 10 दिनो के दौरान देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती हैं तथा दसवें दिन दशहरा का पर्व मनाया जाता हैं जो बुराई पर अच्छे की जीत का संकेत देता हैं।
दोस्तों नवरात्रि को भारत में ही नहीं वल्कि देश विदेशों में मौजूद हिंदू भी बड़े धूमधाम से मनाते हैं इसलिए आज आपको हमारा आर्टिकल नवरात्रि क्यों मनाई जाती हैं | नवरात्रि में 9 देवियों का नाम क्या हैं? और नवरात्रि कब कब मनाया जाता हैं यह आज सब कुछ जानने को मिलेगा।
नवरात्रि साल में चार बार मनाई जाती हैं पौष, चैत्र, आषाढ़, अश्विन मास में प्रतिपदा से नवमी तक नवरात्रि का त्योहार मनाया जाता हैं, नवरात्रि हिंदुओं का एक महत्वपूर्ण प्रमुख त्योहार हैं जिसे हर राज्य और हर गांव में मनाया जाता हैं।
नवरात्रि क्यों मनाई जाती हैं?
दोस्तों वैसे तो नवरात्रि या हिंदुओं में कई ऐसे त्योहार हैं जिन्हे बुराई पर अच्छाई की जीत के उपलक्ष पर मनाया जाता हैं लेकिन नवरात्रि को मनाने के पीछे 2 पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं और कहां जाता हैं की नौ दिनों में मां दुर्गा धरती पर आती हैं और धरती को उनका मायका कहां जाता हैं।
पहली पौराणिक कथा के अनुसार महिषासुर नामक एक राक्षस ने ब्रह्मा जी को खुश करके उनसे यह वरदान मांग लिया था की दुनिया में कोई भी देव, दानव या धरती पर रहने वाला कोई भी मनुष्य उसका वध न कर पाए, यह वरदान पाने के बाद महिषासुर का आतंक शुरू हो गया और उसने धरती तथा देव लोक में आतंक मचाना शुरू कर दिया।
महिषासुर के आतंक को रोकने के लिए मां दुर्गा का जन्म हुआ इसके बाद मां दुर्गा और महिषासुर के बीच नौ दिनों तक युद्ध चला और दसवें दिन मां दुर्गा ने महिषासुर का वध कर दिया, जिसके बाद दसवें दिन को दशहरे तथा नौ दिनों को नवरात्रि के रूप में मनाया जाने लगा।
दूसरी कथा के अनुसार भगवान राम जब लंका पर आक्रमण करने जा रहे थे तब वहां जाने से पहले भगवान राम ने मां भगवती की आराधना की थी, भगवान राम ने नौ दिनों तक रामेश्वर में माता का पूजन किया और उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर मां ने उन्हें लंका जितने का आशीर्वाद दिया था।
और दसवें दिन राम जी ने रावण को मारकर लंका पर विजय प्राप्त की थी और तभी से विजयदशमी का त्योहार मनाया जाता हैं। यह दो पौराणिक कथाएं के अनुसार नवरात्रि का महत्व हैं और धरती को मां दुर्गा का मायका कहा जाता हैं इसलिए नवरात्रि हिंदुओं के लिए इतना महत्वपूर्ण त्योहार हो जाता हैं।
इसके लिए लोग अपने घरों में और गांव वाले तथा मोहल्ले में माता की स्थापना करते हैं तथा उनका 9 दिन तक पूजन किया जाता हैं कहां जाता हैं की माता को हर व्यक्ति नहीं विराजता हैं क्योंकि उन्हें समझना थोड़ा मुश्किल होता हैं।
नवरात्रि में 9 देवियों के नाम क्या हैं?
दोस्तों नवरात्रि क्यों मनाई जाती हैं यह आपने समझ लिया अब समझते हैं की नवरात्रि में 9 देवियों के नाम क्या हैं?
नीचे हमने उनका नाम और उनका अर्थ भी बताया हैं।
शैलपुत्री – इसका अर्थ- पहाड़ों की पुत्री होता है।
ब्रह्मचारिणी – इसका अर्थ- ब्रह्मचारीणी।
चंद्रघंटा – इसका अर्थ- चाँद की तरह चमकने वाली।
कूष्माण्डा – इसका अर्थ- पूरा जगत उनके पैर में है।
स्कंदमाता – इसका अर्थ- कार्तिक स्वामी की माता।
कात्यायनी – इसका अर्थ- कात्यायन आश्रम में जन्मि।
कालरात्रि – इसका अर्थ- काल का नाश करने वली।
महागौरी – इसका अर्थ- सफेद रंग वाली मां।
सिद्धिदात्री – इसका अर्थ- सर्व सिद्धि देने वाली।
इसके अतिरिक्त नौ देवियों की भी यात्रा की जाती है जोकि दुर्गा देवी के विभिन्न स्वरूपों व अवतारों का प्रतिनिधित्व करती है:
माता वैष्णो देवी जम्मू कटरा
माता चामुण्डा देवी हिमाचल प्रदेश
माँ वज्रेश्वरी कांगड़ा वाली
माँ ज्वालामुखी देवी हिमाचल प्रदेश
माँ चिंतापुरनी उना
माँ नयना देवी बिलासपुर
माँ मनसा देवी पंचकुला
माँ कालिका देवी कालका
माँ शाकम्भरी देवी सहारनपुर
दोस्तों वैसे तो पूरे भारत में माता का पूजन और पूजा सामग्री लगभग एक जैसी ही होती हैं लेकिन नवरात्रि मानने का तरीका सभी राज्य में थोड़ा थोड़ा भिन्न हैं, जैसे गुजरात में नवरात्रि को डांडिया तथा गरबे के रूप में जाना जाता हैं तथा यह कार्यक्रम पूरी रात होता हैं।
देवी के सम्मान में भक्ति प्रदर्शन के रूप में गरबे आरती से पहले लिए जाते हैं तथा आरती के बाद डांडिया समारोह होता हैं।
पश्चिम बंगाल के राज्य में बंगालियों के मुख्य त्यौहारो में दुर्गा पूजा बंगाली कैलेंडर में, सबसे अलंकृत रूप में उभरा है। इस अदभुत उत्सव का जश्न नीचे दक्षिण, मैसूर के राजसी क्वार्टर को पूरे महीने प्रकाशित करके मनाया जाता है।
नवरात्रि का महत्व?
वसंत ऋतु की शुरुवात और शरद ऋतु की शुरुवात इन दो ऋतुओं को सूरज के प्रभावों का महत्वपूर्ण संगम माना जाता हैं, यह दो ऋतु मां दुर्गा की पूजा करने के लिए पवित्र समय माना जाता हैं।
आपको बता दे की त्योहार की तिथियां चंद्र कैलेंडर के अनुसार निर्धारित होती हैं, नवरात्रि पर्व, माँ-दुर्गा की अवधारणा भक्ति और परमात्मा की शक्ति (उदात्त, परम, परम रचनात्मक ऊर्जा) की पूजा का सबसे शुभ और अनोखा अवधि माना जाता है।
यह पूजा वैदिक युग से पहले, प्रागैतिहासिक काल से चला आ रहा है। ऋषि के वैदिक युग के बाद से, नवरात्रि के दौरान की भक्ति प्रथाओं में से मुख्य रूप गायत्री साधना का हैं। नवरात्रि में देवी के शक्तिपीठ और सिद्धपीठों पर भारी मेले लगते हैं।
माता के सभी शक्तिपीठों का महत्व अलग-अलग हैं। लेकिन माता का स्वरूप एक ही है। कहीं पर जम्मू कटरा के पास वैष्णो देवी बन जाती है। तो कहीं पर चामुंडा रूप में पूजी जाती है। बिलासपुर हिमाचल प्रदेश मे नैना देवी नाम से माता के मेले लगते हैं तो वहीं सहारनपुर में शाकुंभरी देवी के नाम से माता का भारी मेला लगता है।
लोक मान्यताओ के अनुसार लोगो का मन्ना है कि नवरात्री के दिन व्रत करने से माता प्रसन्न होती है।
नवरात्रि के पहले तीन दिन
दोस्तों नवरात्रि के पहले तीन दिन देवी दुर्गा की पूजा करने के लिए समर्पित हैं इसमें देवी दुर्गा की शक्ति तथा ऊर्जा की पूजा की जाती हैं।
हर एक दिन देवी दुर्गा के अलग अलग रूपों को समर्पित हैं पहले दिन माता के शैलपुत्री, दूसरे दिन ब्रम्ह्चारिणी और तीसरे दिन चंद्रघंटा स्वरुप की आराधना की जाती है।
नवरात्रि के चौथे से छठे दिन
व्यक्ति जब अहंकार, क्रोध, वासना और अन्य पशु प्रवृत्ति की बुराई प्रवृत्तियों पर विजय प्राप्त कर लेता है, वह एक शून्य का अनुभव करता है। यह शून्य आध्यात्मिक धन से भर जाता है।
प्रयोजन के लिए, व्यक्ति सभी भौतिकवादी, आध्यात्मिक धन और समृद्धि प्राप्त करने के लिए देवी लक्ष्मी की पूजा करता है। नवरात्रि के चौथे, पांचवें और छठे दिन लक्ष्मी- समृद्धि और शांति की देवी, की पूजा करने के लिए समर्पित है। शायद व्यक्ति बुरी प्रवृत्तियों और धन पर विजय प्राप्त कर लेता है, पर वह अभी सच्चे ज्ञान से वंचित है।
ज्ञान एक मानवीय जीवन जीने के लिए आवश्यक है भले हि वह सत्ता और धन के साथ समृद्ध है। इसलिए, नवरात्रि के पांचवें दिन देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। सभी पुस्तकों और अन्य साहित्य सामग्रियों को एक स्थान पर इकट्ठा कर दिया जाता हैं और एक दीया देवी आह्वान और आशीर्वाद लेने के लिए, देवता के सामने जलाया जाता है।
नवरात्रि का सातवां और आठवां दिन
दोस्तों सातवें दिन कला और ज्ञान की देवी सरस्वती की पूजा की जाती हैं, प्रार्थनाओं, आध्यात्मिक ज्ञान की तलाश के उद्देश्य के साथ माता का पूजन किया जाता हैं।
आठवें दिन पर एक यज्ञ किया जाता हैं यह एक बलिदान हैं जो देवी दुर्गा के सम्मान तथा उनको विदा करने के लिए किया जाता हैं।
नवरात्रि का नौवां दिन
नौवा दिन नवरात्रि का अंतिम दिन है। यह महानवमी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन कन्या पूजन होता है। जिसमें नौ कन्याओं की पूजा होती है जो अभी तक यौवन की अवस्था तक नहीं पहुँची है।
इन नौ कन्याओं को देवी दुर्गा के नौ रूपों का प्रतीक माना जाता है। कन्याओं का सम्मान तथा स्वागत करने के लिए उनके पैर धोए जाते हैं। पूजा के अंत में कन्याओं को उपहार के रूप में नए कपड़े प्रदान किए जाते हैं।
निष्कर्ष
दोस्तों इस पोस्ट के माध्यम से हमने आपको बताया की नवरात्रि क्यों मनाई जाती हैं | नवरात्रि में 9 देवियों का नाम क्या हैं? नवरात्रि कब कब मनाई जाती हैं उम्मीद हैं आपको इस पोस्ट से जुड़े सवालों के जवाब मिल गए होंगे।
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