असली और नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन की पहचान कैसे करें?

आज पूरा विश्व कोरोना महामारी की बीमारी से जूझ रहा है, इससे दुनिया के लगभग सभी देश प्रभावित
हुए है और हमारे भारत में तो सवा सौ करोड़ की आबादी है इसलिए अन्य किसी देश के मुकाबले
यहां समस्या और परेशानी ज्यादा हो रही है। इसी बीच कोरोना की दूसरी लहर ने भी कोहराम मचा
रखा है और यह रोज लाखों लोगों को संक्रमित कर रही है तथा हजारों लोगों की मौत सही इलाज न
मिलने से हो रही है। असली और नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन की पहचान कैसे करें?

ऐसे में रेमडेसिविर इंजेक्शन मरीजों के लिए संजीवनी बूटी से कम नहीं है। दूसरी लहर का कोरोना वायरस सीधे हमारे फेफड़ों में असर कर रहा है, यह वायरस धीरे – धीरे हमारे फेफड़ों में इन्फेक्शन पैदा करता है, जिससे मरीज को निमोनिया के साथ – साथ सांस लेने में भी तकलीफ होती है। रेमडेसिविर इंजेक्शन फेफड़ों में होने वाले इन्फेक्शन को ब्लॉक करता है और उससे शरीर में होने वाली हानि को बहुत कम कर देता है।

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जहां एक तरफ रेमडेसिविर इंजेक्शन लोगों के लिए एक वरदान साबित हो रहा है वहीं दूसरी तरफ ऐसे कठिन समय में भी इसकी लोगों ने कालाबाजारी करना शुरू कर दी है इसलिए आज आपको यह पता होना बेहद जरूर हो जाता है की असली रेमडेसिविर कौन सा है? असली और नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन की पहचान कैसे करें?

रेमडेसिविर इंजेक्शन क्या है?

“रेमडेसिविर इंजेक्शन” एक एंटी-वायरल दवा है, इस दवा का परीक्षण इबोला महामारी के दौरान हुआ था। रेमडेसिविर इंजेक्शन हमारे शरीर
में वायरस को बढ़ने से रोकती है, रेमडेसिविर इंजेक्शन को सिर्फ डॉक्टर की सलाह पर ही लेना
ठीक है, क्योंकि यह इंजेक्शन कुछ खास लक्षणों पर ही कारगर है।

2009 में गिलिड साइंस (US) द्वारा बनाई गई इस दवा को हेपिटाइटिस की बीमारी से निजात के लिए
बनाया गया था 2014 में आई इबोला महामारी से निजात के लिए भी इस दवा का इस्तेमाल किया
गया, और अब नए कैमिकल द्वारा बनाई गई इस दवा को नाम दिया है “रेमडेसिविर”।

WHO (वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन) के अनुसार रेमडेसिविर कोरोना वायरस के इन्फेक्शन को रोकने
में सक्षम है, इसलिए आपने देखा होगा आज हर तरफ बस इसी की चर्चा ज्यादा हो रही है।

क्या कोरोना के इलाज में रेमडेसिविर इंजेक्शन कारगर है?

कोरोना की दूसरी लहर पहली से ज्यादा खतरनाक साबित हो रही है। महामारी के इस मुश्किल वक्त में हॉस्पिटल बेड्स, ऑक्सीजन सिलेंडर और रेमडेसिविर इंजेक्शन की मांग लगातार बढ़ती जा है। इसलिए आज इस सवाल का जवाब देना जरूरी हो जाता है कि “क्या कोरोना के इलाज में रेमडेसिविर इंजेक्शन कारगर है”?

रेमडेसिविर को लेकर किए गए सबसे पहले शोध में इस ड्रग के कोई फायदे नहीं दिखे पर बाद में WHO ने बड़े स्तर पर शोध किया और बताया कि रेमडेसिविर कोरोना से पूरी तरह निजात दिलाने में सक्षम नहीं है, पर अगर मरीज शुरुआती कोरोना सिंटोम्स (लक्षण) से ग्रसित है तब यह काफी कारगर साबित होगा। क्योंकि यह शुरुआती समय में कोरोना वायरस का इन्फेक्शन रोक देता है, जिससे हम रेमडेसिविर इंजेक्शन की 2-4 डोज में ठीक हो सकते है।

लेकिन कोरोना के गंभीर मरीजों के इलाज में रेमडेसिविर कारगर नहीं है। कोरोना के गंभीर मरीजों को उनके इन्फेक्शन के अनुसार उन्हें अलग-अलग इंजेक्शन दिया जाता है। इसमें शामिल है – विरफिन्न इंजेक्शन, डेक्सामेथेनोसोंन, टोसिलिजुमाब, फेविपीराविर आदि। इन सभी दवाओं में से सबसे ज्यादा डेक्सामेथेनोसोंन कारगर सिद्ध हुई है।

फिलहाल टोसिलिजुमाब, फेविपीराविर विदेशी होने के कारण और इनका रिकवरी टाइम ज्यादा होने के कारण इसके इस्तेमाल पर इतना विश्वास
नहीं जताया जा रहा है।

किन मरीजों को रेमडेसिविर इंजेक्शन दी जा सकती है?

एक बड़े स्तर के अध्ययन से यह पता चला है कि रेमडेसिविर इंजेक्शन सिर्फ उन्हीं मरीजों को दिया जाना चाहिए जो अस्पताल में भर्ती है और जिन लोगों का ऑक्सीजन लेवल एकदम निचले स्तर पर पहुंच गया है और जिनमें संक्रमण का पता एक्स-रे या सिटी-स्कैन से चले।

लेकिन अगर आपका ऑक्सीजन लेवल उतना नीचे नहीं गिरा की आपको सांस लेने में तकलीफ हो तो
ऐसे में आप दूसरी दवाओं से ठीक हो सकते हो। रेमडेसिविर इंजेक्शन इतने बड़े स्तर पर
इस्तेमाल किया जा रहा है इसलिए कहीं न कहीं इसने कालाबाजारी करने वालों को पैसे कमाने का अवसर दे दिया है।

रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी में असली नकली की कैसे करे पहचान?

रेमडेसिविर इंजेक्शन की किल्लत पूरे देश मे बरकरार है, तमाम प्रयासों और इंजेक्शन बनाने वाली कंपनी का उत्पादन कोटा बढ़ाने
के बाद भी संक्रमितो को इंजेक्शन नहीं मिल पा रहा है इसकी सबसे बड़ी वजह यह है की एक
रेमडेसिविर इंजेक्शन का रेट इतना ज्यादा हो गया है की इसे ले पाना सबके बस की बात नहीं हैं।

कई फार्मा कंपनी रेमडेसिविर इंजेक्शन के तरह नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन को मार्केट में लाकर
काफी मुनाफा कमा रही है, ऐसे में परिजनों या इंजेक्शन खरीदने वाले को पता नहीं चलता है कि असली और नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन की
पहचान कैसे करें?

असली और नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन की पहचान कैसे करें?

यह पता करने के लिए हम आपको कुछ प्वाइंट बनाते वाले है कृपया करके इस पोस्ट को सभी लोगों को
भेजे ताकि सभी को इसकी जानकारी मिलें और हो सके तो यह प्वाइंट आप कहीं लिख कर रखे।

1. इंजेक्शन पर लिखे नाम को ध्यान से देखिए।

असली रेमडेसिविर इंजेक्शन के पैकेट पर इंजेक्शन के नाम से पहले Rx लिखा होता है बल्कि नकली में नाम से पहले ऐसा कुछ नहीं होता है।

2. इंग्लिश में लिखे शब्दों में गलतियां

नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन पर जो भी लिखा होता है उसके कई तरह की गलतियां होती है जिससे आप उसकी पहचान बड़ी आसानी से कर सकते हो जैसे,

• नकली इंजेक्शन के पैकेट में लिखे इसके नाम की तीसरी लाइन में यह लिखा होता है – 100 mg/vial
देखने पर यह एक दम सही लग रहा है लेकिन ज़रा ध्यान से देखिए इसमें vial गलत तरीके से लिखा
गया है असली इंजेक्शन में इस स्पेलिंग का वर्ड कैपिटल लैटर में लिखा होता है ऐसे(Vial) वल्कि नकली में इसकी
स्पेलिंग में vial ऐसे लिखा होता है।

नकली इंजेक्शन – 100 mg/vial
असली इंजेक्शन – 100 mg/Vial

• अब इस पैकेट में आगे की ओर सबसे नीचे लिखें शब्दों पर आइए जिसमे लिखा गया है “for use in” यह एक नकली इंजेक्शन की पहचान है क्योंकि असली इंजेक्शन में स्पेलिंग ऐसी होती है “For use in” (आगे का F लैटर बड़ा होता है लेकिन नकली इंजेक्शन में f छोटा दिया है।)

नकली इंजेक्शन – “for use in”
असली इंजेक्शन – “For use in”

3. शब्दों में गैप बहुत ज्यादा है?

अगर आप रेमडेसिविर इंजेक्शन के पैकेट पर देखेंगे तो आपको वहा “COVIFOR” लिखा दिखेगा असली और नकली दोनों में यही एक जैसी स्पेलिंग होती है लेकिन असली इंजेक्शन में “COVIFOR” के उपर की गैप कम है बल्कि नकली इंजेक्शन में यह थोड़ा नीचे की तरफ लिखा गया है मतलब ऊपर से गैप थोड़ी ज्यादा है।

4. वार्निंग मैसेज लाल होना चाहिए।

असली इंजेक्शन के पीछे की तरफ एक वार्निंग मैसेज लिखा होता है जो लाल अक्षरों में लिखा होता है इसका मतलब यह एक दम सही है लेकिन नकली इंजेक्शन में यह वार्निंग मैसेज काले अक्षरों में लिखा होता है।

5. मैन्यूफैक्चर डिटेल गायब होना।

वार्निंग मैसेज के ठीक नीचे असली इंजेक्शन में यह लिखा होता है ‘Covifir[brand name] is manufactured under the license from Gilead Sciences, Inc’ यह लिखा होता है बल्कि नकली इंजेक्शन में यह कुछ भी लिखा नहीं होता है इतनी जगह खाली होती है आप यह इस फोटो में देख सकते है।

6. ड्रग मेकर के नाम में गलतियां

अगर आप नीचे देखेंगे तो यह ड्रग किस कंपनी ने बनाया है उसका नाम लिखा होता है और ठीक उसके नीचे लिखा है “Hyderabad india” यहां पर आप ध्यान से देखेंगे तो समझ आएगा की इंडिया की स्पेलिंग गलत है इंडिया का आई स्मॉल लैटर में लिखा गया है वल्कि किसी भी देश के नाम का पहला शब्द हमेशा बड़े लैटर से स्टार्ट करते है।

7. स्पेलिंग में गलतियां

रेमडेसिविर इंजेक्शन के पैकेट के सबसे नीचे लिखा यह लिखा जाता है की यह ड्रग किस स्टेट के बना है
और नकली इंजेक्शन में स्पेलिंग की गलतियां है। असली इंजेक्शन में लिखा है Telangana वल्कि नकली इंजेक्शन में Telagana लिखा
गया है इसमें से n गायब है।

रेमडेसिविर इंजेक्शन कितने का मिलता है?

रेमडेसिविर इंजेक्शन की नॉर्मल प्राइस 899 रुपए होती है लेकिन आज इसे गलत तरीके से 20,000 से लेकर 50,000 तक में बेचा जा रहा है और इसकी भी कोई गारंटी नहीं आपको नकली इंजेक्शन मिलेगा या असली।

निष्कर्ष

दोस्तों मुझे पूरी उम्मीद है अब आपको बहुत अच्छे से समझ में आ गया होगा की असली और नकली
रेमडेसिविर इंजेक्शन की पहचान कैसे करें?
आज के समय में सबसे ज्यादा जरूरी है की आप
घर में ही रहे क्योंकि इससे आपको इस इंजेक्शन के पीछे भागने से बच जाओगे क्योंकि जिसे कोरोना हो
रहा है सिर्फ वही समझ रहा है की जान की कीमत क्या है।

हाथ जोड़कर निवेदन करूंगा की इस पोस्ट को कृपया करके आप अपने फैमिली और दोस्तों को
भेजें ताकि उन्हें भी इस संकट के समय के नकली और असली इंजेक्शन की पहचान करने में किसी
भी तरह की समस्या न हो। यह पोस्ट कैसी लगी आप हमें यह कमेंट करके बता सकते है।

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